सुरक्षा भाग- 2 ,सुरक्षा के प्रकार ,और दुर्घटना से बचाव के उपाय-

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सुरक्षा और सावधानियाँ भाग -2 (SAFETY AND PRECAUTIONS)

 एक अच्छा शिल्पकार वही होता है जो काम की शुरुआत करने के पूर्व उस कार्य  के ऊपर आने वाली सुरक्षा एवं सावधानियां के बारे में भली-भांति जानता हो और सावधानियां का अनुकरण करता हो-

सुरक्षा को सामान्य रुप से दो भागों में विभाजित किया गया है-

1- साधारण सुरक्षा नियम(Genral safety rules)
2- मशीन विशेष सुरक्षा नियम(Machine special safety rules)
1.साधारण सुरक्षा नियम -
साधारण सुरक्षा नियम में सभी की सुरक्षा सन्निहित होती है जिसमें कर्मचारी, मशीन और मशीन में बनने वाले कार्यखंड क्योंकि यदि दुर्घटना होती है तो केवल कर्मचारी ही नहीं बल्कि सभी को नुकसान भरना पड़ सकता है अतः प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के समय एवं बाद में एक अच्छा टेक्नीशियन के रूप में निम्नलिखित प्रकार सामान्य सुरक्षा नियम के बारे में जानना अतिआवश्यक है
1.स्वयं की सुरक्षा(Self safety)
2. मशीन की सुरक्षा(Machine Safety)
3.कार्यखंड की सुरक्षा(workpiece safety)

*.स्वयं की सुरक्षा- 

कहावत है की जान है तो जान है किसी भी कर्मशाला में कारीगर कार्य करने जाता है तो सर्वप्रथम सभी प्रकार की सावधानियां का उसे ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि शरीर का कोई भी हिस्सा दुर्घटनाग्रस्त होने पर कभी भी उसकी भरपाई नहीं हो सकती है स्वयं की सुरक्षा हेतु उठाए गए सावधानी स्वयं की सुरक्षा कहलाता है इसे हम निम्न बिंदुओं में जान जान सकते हैं-
1.बिना जानकारी किसी मशीन को नहीं चलना चाहिए।
2.कार्य करते समय सुरक्षा हेतु सुरक्षित पहनावा रखना चाहिए।
3.हमेशा पीपीई किट पहनकर कार्य करना की आदत डालना चाहिए ।
3.सही प्रकार के टूल एवं मशीन का उपयोग करना चाहिए।
4. चलती मशीन पर छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए एवं अनुशासन का ध्यान रखना चाहिए ।
5.मशीन में काम करते समय टूल्स एवं अन्य सामग्री मशीन टेबल पर या मशीन पर नहीं रखना चाहिए।
6. मशीन से कटे चिप्स बुरादा को सुरक्षित ढंग से बाहर निकलना चाहिए।
7.ऊंचाई एवं ओवरहेड पर कार्य के समय उचित सुरक्षा के उपाय करना चाहिए जैसे हेलमेट एवं सेफ्टी बेल्ट का उपयोग आदि ।
8.वजन आदि सामान को हाथ से अकेले उठाने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
9.काम करते समय कर्मचारी को हंसी मजाक जैसे अन्य व्यवहार नहीं करना चाहिए ।
10. कर्मशाला के अंदर धूम्रपान नहीं करना चाहिए ।

*मशीन की सुरक्षा-

अपनी सुरक्षा में हमने जाना की जीवन व शरीर बहुमूल्य है उसी प्रकार की भी कर्मशाला के लिए उसमें काम में आने वाली मशीन भी, कर्मशाला के लिए वही स्थान रखती है मशीन भी कीमती व काफी महंगी होती है जिनको बार-बार नहीं खरीद सकते वह किसी भी ऑर्डर को तत्काल करने के लिए उपलब्ध हो जाए यह संभव हो पाना मुश्किल होता है इसलिए मशीन में कार्य करने से पहले उसमें सुरक्षा के उपाय जानना अत्यंत आवश्यक है
मशीन की सुरक्षा के उपाय हम निम्न बिंदुओं से जान सकते हैं-
1.सभी मशीन टूल्स को सही स्थान पर सुरक्षित ढंग से रखना चाहिए ।
2.सूक्ष्म मापी यंत्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
3. चालू हालत में मशीन पर अलग से कोई औजार यंत्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
4. मशीन चलाने से पहले प्रिवेंटिव मेंटिनेस चेक कर लेना चाहिए।
 5.मशीन या उसके अंगों पर हैमर आदि से चोट नहीं करना चाहिए। 6.चलती मशीन में स्पीड या गियर शिफ्ट नहीं करना चाहिए।
7. ऑटो फीड में मशीन छोड़कर इधर-उधर घूमना नहीं चाहिए।
 8.मशीन पार्ट्स खराब होने पर तत्काल सुधार करना एवं खराब पार्ट्स बदलना चाहिए ।
9.कट्टर एवं जॉब पर कट देते समय, दोनों के मध्य दूरी बनाकर कट देना चाहिए ।
10.कार्य समाप्त होने पर मशीन अच्छी तरह साफ करके रखना चाहिए।

*कार्य खंड की सुरक्षा-

जैसा कि स्वयं की सुरक्षा व मशीन की सुरक्षा आवश्यक है वैसे ही कर्मशाला में बनने के लिए आने वाले कार्यखंड जब भी बहुत ही कीमती व अति आवश्यक होती है कार्य खंड खराब या दुर्घटनाग्रस्त होने से समय व पैसा दोनों बर्बाद होता है और कंपनी का व्यवहार पर भी खराब असर पड़ता है क्योंकि किसी भी कार्य के लिए कच्चा सामग्री तत्काल उपलब्ध नहीं कर पाते हैं कार्य खंड की सुरक्षा के लिए हमें निम्न बिंदुओं से जान सकते हैं-
1.सही प्रकार के उचित सूक्ष्ममापी यंत्र का प्रयोग करना चाहिए ।
2.सही प्रकार के उपसाधन का उपयोग करना चाहिए।
 3.सही प्रकार के मेटल का उपयोग करना चाहिए ।
4.सही टूल्स और औजार का उपयोग करना चाहिए।
 5.ड्राइंग को भली भांति अच्छे से पढ़कर जाब प्लान बनाना चाहिए। 6.सही फीड,व डेप्थ आफ कट का चयन करना चाहिए।
7.जब के ऊपर मार्किंग लेप लगाकर एक बार डमी कट लगाकर देखना चाहिए।
8. जाब बनाने से पहले धातु की गुणवत्ता जांच लेनी चाहिए।
9. विद्युत कट हो जाने पर जाब और कटर को अलग कर लेने चाहिए।
10. गरम जाब होने पर जाब को जल्दी ठंडा करने के लिए पानी में नहीं डालना चाहिए नहीं तो उसकी हार्डनेस खराब होती है।

 2.मशीन विशेष सुरक्षा नियम-

साधारण सुरक्षा नियम में हमने स्वयं की सुरक्षा मशीन सुरक्षा एवं कार्यखंड की सुरक्षा के विषय में विस्तार से जान चुके हैं, कर्मशाला में कई प्रकार के अलग-अलग मशीन चलती हैं जिनका हम अलग से सुरक्षा करना अति आवश्यक है अन्यथा चूक होने पर मशीनों को बड़ी हानि व दुर्घटना घट सकती है मशीन विशेष सुरक्षा के अंतर्गत हम अलग-अलग प्रकार के मशीन टूल्स की सुरक्षा करने के सावधानियां एवं उपाय करते हैं जिन्हें निम्न बिंदुओं से जान सकते हैं-

हैंड टूल्स के लिए सुरक्षा-

हाथ से उपयोग होने वाले औजार आदि की सुरक्षा के लिए सभी हैंड टूल्स की गुणवत्ता के अनुसार सबको अलग-अलग और सही क्रम में रखना चाहिए।

लेथ मशीन के लिए सुरक्षा-

*लेथ मशीन पर अच्छी विद्युत व्यवस्था होनी चाहिए मशीन के सभी हिस्से पुर्जे अच्छे से कैसे हुए होने चाहिए ।
*लेथ मशीन के हेड स्टॉक पर चक मजबूती से बंधा होना चाहिए 
*मशीन के टूल पोस्ट ,कंपाउंड स्लाइड, कैरिज, एक दूसरे में अच्छी तरह से फिट होने चाहिए।
* टूल पोस्ट की ऊंचाई सही होनी चाहिए ।
*मशीन बेड पर कभी भी हैमर या अधिक मजबूत वस्तु से प्रहार नहीं करनी चाहिए ।
*मशीन पर चक या हैवी रॉ मैटेरियल चढ़ाते समय लकड़ी के गुटके का प्रयोग करना चाहिए।
* लंबे जॉब पर हैवी कट नहीं लगना चाहिए।

ग्राइंडिंग मशीन के लिए सुरक्षा-

* मशीन चलाने से पहले ग्राइंडिंग व्हील और उसके चक्र को अच्छे से घूमा कर देख लेना चाहिए कहीं टूटा तो नहीं 
*ग्राइंडिंग के टूल रेस्ट आदि सही ऊंचाई पर होना चाहिए।
* ग्राइंडिंग व्हील पर अधिक प्रेशर नहीं देना चाहिए।
* ग्राइंडिंग व्हील पर गार्ड आदि लगाकर रखना चाहिए 
*सही तरह के ग्राइंडिंग व्हील पर सही तरह के धातु को ही ग्राइंड करना चाहिए।

मिलिंग मशीन के लिए सुरक्षा-

*चलती हुई मिलिंग मशीन पर कभी गियर चेंज नहीं करना चाहिए ।
*चलती हुई कटर पर कभी भी लोहे या अन्य वस्तुओं से रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
*चलती हुई मशीन पर माप नहीं लेना चाहिए ।
*कार्य खंड के अनुसार कटर का घुमाव दिशा चेक करके ही फीड देना चाहिए।
*कार्यखंड को टेबल पर सही ऊंचाई पर बांधना चाहिए ।
*मिलिंग मशीन पर डेप्थ ऑफ़ कट और फीड जाब और कटर के स्ट्रैंथ के आधार पर देना चाहिए।

ड्रिलिंग मशीन के लिए सुरक्षा-

*बड़े छिद्र को एक ही बार बड़े साइज की ड्रिल का उपयोग नहीं करना चाहिए ।
*ड्रिल चक अच्छे से मजबूती से ड्रिल को फिट करना चाहिए ।
*कार्य के अनुसार जिग एवं फिक्सचर्स का उपयोग करना चाहिए।
 *बड़े छिद्र साइज जॉब के लिए कम स्पीड और छोटे साइज छिद्र की जॉब के लिए अधिक स्पीड रखना चाहिए।
* कूलेंट का अच्छे से प्रयोग करना चाहिए ।
*ड्रिल करते समय शुरुआत में कम फीड और अंत में काम फीड एवं सावधानी के साथ ड्रिल करना चाहिए।

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