प्राथमिक चिकित्सा क्या है (What Is First Aid ), कृत्रिम साँस विधि कितने प्रकार की होती है ,कौन कौन सी सामग्री रहती है बॉक्स में, जाने बॉक्स बनाना -

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प्राथमिक चिकित्सा (First  Aid )-

आम दैनिक दिनचर्या में या कारखाने में दुर्घटना किसी भी समय घट सकती है और उस वक्त जरूरी नहीं कि वहां तत्काल डॉक्टर या अस्पताल की उपलब्धता हो ऐसी अवस्था में दुर्घटनाग्रस्त पीड़ित या बीमार व्यक्ति को डॉक्टर या अस्पताल तक जाने के पूर्व घायल  को दिए जाने वाले उपचार या जीवन बचाने की तकनीक को प्राथमिक उपचार कहते हैं।



प्राथमिक चिकित्सा सामग्री बॉक्स में उपलब्ध वस्तुएं-

1.टिंचर,    2.आयोडीन,

3.पत्तियां,    4.डिटॉल,

5.पोटैशियम परमैगनेट,    6.स्पिरिट अमोनिया,

7.एपीसी,    8.सुघंने का नमक,

9.बरनोल,    10.प्लास्टर दवाई लगा,

11.कैंची ,    12.चाकू ,

13.सेफ्टी पिन,    14.कमठिया,

15.ड्रॉपर,    16.रुई ,गाज ,

17.एक्वी फ्लेवीन या मर्कुरोक्रोम     18.सोडियम बाई कार्बोनेट ,

19.दवा पिलाने का गिलास ,    20.आंख साफ करने का सामान,

21. कपड़ा जालीदार।


प्राथमिक उपचार करते समय ध्यान में रखने वाली बातें-

1. घायल के लिए सही प्राथमिक चिकित्सा का प्रयोग करें।

2. आवश्यकता अनुसार डॉक्टर या एम्बुलेंस को बुलवाएं।

3. यदि घायल को क्षत़ि का खतरा हो तो उसे वहां से हटाए नहीं।

4. पीड़ित को हौसला प्रदान करें, अकेला ना छोड़े।


गंभीर अवस्था में घायल हो तो- 

A for Airways

घायल व्यक्ति की श्वसन तंत्र को सही करने के लिए वायु मार्ग, जीव, स्राव या श्वसन नली को  साफ कर सही करें, सुनिश्चित करें सांस नली बंद ना हो।

B for Breathing -

 सुनिश्चित करें कि पीड़ित सांस ले रहा है कि नहीं , सांस लेने में परेशानी हो होने पर कृत्रिम सांस विधि से सांस दे।

C for Circulation - 

घायल व्यक्ति की नब्ज चेक करें एवं नब्ज चल रही है कि नहीं, यदि नहीं चल रही हो तो सीपीआर देने की व्यवस्था करें कार्डियो पल्मेनरी रिससिट्रेषन का उपयोग करें।


प्राथमिक चिकित्सा हेतु कृत्रिम श्वसन विधियां(Artificial Respiration Process )-

यदि घायल व्यक्ति को दुर्घटना के पश्चात सांस लेने में तकलीफ हो उसे कृत्रिम सांस विधि के द्वारा सांस दिया जाता है जिसे हम कृत्रिम श्वसन कहते हैं।

कृत्रिम श्वसन विधि तीन प्रकार (types)की होती है-

1 .शेपर विधि (Schaffers Process ) -

2 .सिल्वेस्टर विधि(Sylvesters Process )-

3 .लोबार्ड विधि-(Lobard Process )-


1 .शेपर विधि (Schaffers Process ) -
चित्र 1 

इस विधि में रोगी को औंधे मुंह लिटाया जाता है ,चित्र क्रमांक 1  एक के अनुसार दोनों हाथों को कंधे से सर की ओर रखा जाता है इसके लिए पीड़ित के कपड़े को ढीले कर ले इसके पश्चात पीड़ित के सीने को दोनों हाथों से पसलियों को अच्छे से दबाना चाहिए, जिससे फेफड़ों की हवा नाक व मुंह से बाहर आना चाहिए ।

इसके पश्चात पीड़ित को पेट के बल लिटा कर चित्र क्रमांक 3 के अनुसार पीठ को जमाना चाहिए जैसे ही पीठ से दबाव हटा है तो रोगी की सांस अंदर आता है यह क्रिया 1 मिनट में 10 से 12 बार करनी चाहिए जब तक श्वसन तंत्र में सांस साधारण शुरू न हो जाए।


2 .सिल्वेस्टर विधि(Sylvesters Process )-
चित्र 2 

इस विधि में रोगी को चित्र 1 जैसे लिटाते हैं कपड़े को ढीले कर लेते हैं या उतार लेते हैं कंधे के नीचे तकिया रख देते हैं प्राथमिक चिकित्सा देने वाला व्यक्ति को रोगी के सिर के पास घुटनों के बल बैठकर रोगी के दोनों हाथों को पिछे लाकर कोहनियों को जमीन से स्पर्श करते हैं इससे रोगी को सांस वापस आ जाती है इसके पश्चात दोनों हाथों को छाती पर लगाकर रखते हैं और 1 मिनट में 10 से 12 बार दबाव देते हैं इसके हवा बाहर निकलती है यदि रोगी को मुंह और जीप में कुछ फसा है तो साफ कर लेते हैं यह क्रिया तब तक करते हैं जब तक सामान्य सांस लेना शुरू न कर दे।

चित्र 3 


3 .लोबार्ड विधि-(Lobard Process )-
चित्र 4 

यह विधि उपरोक्त दोनों विधि के अतिरिक्त तीसरी विधि है इसमें अधिक कठिनाई नहीं आती इस विधि में पीड़ित को सीधा लिटाते हैं और रोगी के एक तरफ बैठकर उसके मुंह को साफ करके उसके सिर को पकड़ कर मुंह से मुंह में फूंक मार कर सांस देते हैं, इसके बाद फूंक मारने के पश्चात मुंह तब तक हटा ले कि पीड़ित के मुंह से सांस बाहर ना निकल जाए , फिर पुनः मुंह से मुंह सांस देते हैं।


उपरोक्त तीनों विधि पर यदि सांस नहीं आ पाए ,  प्रयास सफल नहीं होती है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं स्वयं ही कोई निर्णय न ले।

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